सरकार ने मनी लॉन्ड्रिंग नियमों में किया बदलाव
सरकार ने धन रोधी कानून के तहत नियमों में संशोधन किया है, इसके बाद बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए राजनीतिक रसूख वाले व्यक्तियों (पीईपी) के वित्तीय लेनदेन को रिकॉर्ड करना अनिवार्य हो गया है। इसके तहत वित्तीय संस्थानों या रिपोर्टिंग एजेंसियों को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत गैर-लाभकारी संगठनों या गैर सरकारी संगठनों के वित्तीय लेनदेन के बारे में जानकारी एकत्र करने की आवश्यकता होगी।
संशोधित पीएमएल नियमों के तहत, वित्त मंत्रालय ने पीईपी को 'ऐसे व्यक्तियों के रूप में परिभाषित किया है, जिन्हें किसी बाहरी देश द्वारा प्रमुख सार्वजनिक कार्य सौंपे गए हैं और जिनमें राज्यों या सरकारों के प्रमुख, वरिष्ठ राजनेता, वरिष्ठ सरकारी या न्यायिक या सैन्य अधिकारी, राज्य के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हैं। स्वामित्व वाले निगम और महत्वपूर्ण राजनीतिक दल के अधिकारी भी इसमें शामिल हैं।
क्या हुआ बदलाव
वित्तीय संस्थानों को नीति आयोग के पोर्टल पर अपने एनजीओ ग्राहकों का विवरण दर्ज करना होगा और ग्राहक तथा रिपोर्टिंग इकाई के बीच व्यावसायिक संबंध समाप्त होने या खाता बंद होने के बाद पांच साल तक, जो भी बाद में हो, रिकॉर्ड बनाए रखना होगा। इस संशोधन के बाद, बैंकों और वित्तीय संस्थानों को अब न केवल पीईपी और गैर सरकारी संगठनों के वित्तीय लेन-देन के रिकॉर्ड बनाए रखने होंगे, बल्कि मांगे जाने पर उन्हें प्रवर्तन निदेशालय के साथ साझा भी करना होगा।