हँसते रहिए जनाब
- सुधा दुबे
हँसी ईश्वर प्रदत्त एक दिव्य तथा अनुपम उपहार हैं।सृष्टि में केवल इंसान को ही यह नैसर्गिक उपहार प्राप्त है क्योंकि इंसान के अलावा सृष्टि में अन्य और कोई जीव नहीं हँसता। भाग दौड़ भरी जिंदगी के इस युग में हम हँसना हँसाना भूल गए हैं पूरा समय तनाव और अवसाद से भरे रहते हैं हम ही नहीं छोटे बच्चे भी और बड़े युवा भी आज अवसाद के कारण हँसना भूल गए हैं और इस अवसाद में आत्महत्या जैसा अपराध भी कर बैठते हैं हँसने से ऐन्डाफिर्न रसायन का अंतर स्त्राव होता है जो मांसपेशियों की जकड़न को कम करता है अवसाद का प्रभाव मानसिक और शारीरिक गतिविधियों पर पड़ रहा है।
शेक्सपीयर ने अपने अनुभव से बताया है कि जो इंसान अपनी हँसी को हमेशा क्रियाशील रखता है वह सदा स्वस्थ रहता है और दीर्घायु प्राप्त करता है बैंकर नामक विचारक ने तो हंँसी को एक ऐसी पोशाक बताया है जिसे कहीं भी और किसी भी मौसम में पहना जा सकता है।
प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध के भीषण संताप के समय चार्ली चैपलिन के शो को सिनेमा की तरह लोग देखने जाते थे और कुछ समय के लिए अपने दुख दर्द भूल जाते थे वह ढीला पतलून एक तंग और गंदा कोट सिर पर एक छोटी टोपी और ऊपरी होंठ पर छोटी सी मूछें वह उस समय का हीरो था केवल हास्य की मुद्राएं करने के कारण।
आज भारत में ही नहीं अन्य देशों में भी एक सौ से अधिक उम्र के हजारों आदमी हैं मैंने एक बुजुर्ग से पूछा "महाशय आप 115 वर्ष की आयु में भी इतने सदाबहार दिख रहे हैं आपके इस सुदीर्घ और स्वस्थ जीवन के पीछे आखिर रहस्य क्या है"? 115 वर्ष के युवा आवाज के धनी बुजुर्ग ने उत्तर देते हुए कहा "हास्य........ किसी छोटी से छोटी नगण्य सी बात पर भी दुःखी होने के स्थान पर मैं कहकहे लगाकर हँस पड़ता हूँ"!
बुजुर्ग आगे बोले "देखिए ना मेरी बीवी कई महीनों से बीमार है पर मैं बैठकर रोने के बदले हँस रहा हूँ ,अगर मैं भी रोता रहा तो
वह और जल्दी मृत्यु के करीब पहुँच जाएंगी।
किसी ने मनुष्य की परिभाषा इस प्रकार दी है *मेन इज लाफिंग एनिमल* निसंदेह ईश्वर ने मनुष्य को हँसने की यह एक विलक्षण शक्ति प्रदान की है गंभीर से गंभीर प्रकृति का व्यक्ति भी जीवन में कभी दिल खोल कर ना हँसा हो यह बात संभव नहीं है। सर्कस के जानवरों को देखने के बाद हमें समझ में आता है कि हाथी के दांत खाने के और ,और दिखाने के और दो भिन्न-भिन्न प्रकार के दांत होने के बावजूद वह हँसने के लिए किसी भी प्रकार के दांतो का उपयोग नहीं करता । किसी भी जानवर के चेहरे से आप पहली नजर में उसके हर्ष या विषाद का अनुमान नहीं लगा सकते परंतु अगर उनके हाथ पैर हिलाने शरीर को मटकाने से आप समझ जाते हैं कि वह बहुत खुश हो रहा है।
अगर हिंदी साहित्य का अध्ययन करें तो रसों में एक रस हास्य को भी स्वीकार किया गया है और हास् को उसका स्थाई भाव माना है। फिर भी आरोग्य शास्त्र की दृष्टि से रोने की अपेक्षा हंँसने के लाभ अधिक बताए गए हैं एक अमेरिकी मानस चिकित्सक द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार हास्य को आरोग्य के लिए सर्वोत्तम व्यायाम बताया गया है उसके अनुसार हँसने से सर दर्द और रक्तचाप ब्लड प्रेशर जैसे अनेक रोगों से व्यक्ति को मुक्ति या राहत प्राप्त होती है। एक लेखक ने अपने ग्रंथ में आयुर्वेदिक दृष्टि से हास्य के विविध लाभों को बताते हुए लिखा है हँसने से आदमी के फेफड़े मजबूत होते हैं स्वसन क्रिया सुधरती है हास्य के कारण हवा काफी जोर से उदर से टकराती है और निकल जाती है इससे दीर्घ स्वसन होता है धड़कन भी बढ़ती हैं फलस्वरुप हृदय अधिक सक्रिय होता है व्यायाम के अभाव के कारण मंद पड़ी हुई यकृत की गति में तेजी आ जाती है स्वादुपिंड अर्थात पैंक्रियास ग्रंथि औसत रूप आकार ग्रहण कर लेती है हास्य से पाचन क्रिया में भी सुधार होता है ठहाका मारकर हँसने से गर्दन इधर-उधर झूलती है इससे गले और कंधों के स्नायु मजबूत होते हैं साथ ही कंठ की ग्रंथि में होने वाले आयोडीन तत्वों का स्त्राव बढ़ जाता है आंतों की प्रवृत्ति नियमित होती है।
काका कालेकर जी ने भी लिखा है कि प्रत्येक मनुष्य को अपना दैनिक समय विभाग चक्र बनाकर उसमें प्रतिदिन एक घंटा हँसने-हँसाने के लिए भी रखना चाहिए। यदि दिन में कोई 15 बार हँसले तो चिकित्सक का बिल ना के बराबर होगा। जीवन में तीन डॉक्टरों की चिकित्सा अपनाएं ...डॉक्टर डॉइट( संतुलितआहार )डॉक्टरपीस (शांति )डाक्टर स्माइल(मुस्कान हँसी) लंबी उम्र का राज प्रसन्न हँसमुख रहना हैं।
हमारे हँसने के 100 पल्स रनिंग मशीन पर किए गए 10 मिनिट की रनिंग के बराबर होते हैं।
मुक्त हृदय के हास्य के द्वारा मनुष्य स्वस्थ जीवन जीने में समर्थ होता है एक अंग्रेज लेखक ठाकरे ने तो बड़ी खीज के साथ कहा है
"जो लोग यह नहीं जानते कि कैसे हँसा जाता है वे आडंबरपूर्ण और अभिमानी होते हैं"
हास्य केवल जीवन जीने की जड़ी-बूटी ही नहीं है वरन जीवन संग्राम में संघर्ष करने और विजय प्राप्त करने का अमोघ शस्त्र है।
किसी ने गांधी जी से पूछा था कि क्या आप मानते हैं कि विनोद वृति जीवन का एक अनिवार्य अंग है ? उत्तर में गांधी जी ने स्पष्ट कहा था कि यदि मुझमें विनोद वृति ना होती तो मैंने कभी की आत्महत्या कर ली होती।इसका जिक्र गांधी जी ने अपनी आत्मकथा सत्य के प्रयोग में भी किया है
इसी प्रकार यदि सुकरात में विनोद वृति ना होती तो वह अपनी कर्कशा पत्नी झेन्थीपी के साथ रहकर शायद ही जी पाता। सुकरात के हृदय में स्थित हास्य वृत्ति ने ही उसे जीने का बल दिया ।एक बार किसी ने सुकरात से प्रश्न किया "आप झगड़ालू और वाचाल स्त्री को बर्दाश्त क्यों करते हैं"?
मुस्कुराते हुए सुकरात ने उत्तर दिया "मेरे भाई मैं उसे अपनी पूरी ईमानदारी के साथ लाया हूँ यही नहीं किंतु आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मैं अपनी विवाहिता की अच्छी तरह हिफाजत भी करता हूंँ ।आपको यह तो मालूम ही होगा कि घोड़ों को प्रशिक्षित करने का व्यवसाय करने वाले व्यक्ति को स्वयं के लिए सबसे अधिक तूफानी घोड़ा रखना पड़ता है ताकि अन्य घोड़ों को आसानी से काबू में रखा जा सके मेरा व्यवसाय वाद-विवाद का है यही कारण है कि मैंने घर में सबसे ज्यादा वाचाल स्त्री रखी है यदि में धैर्य पूर्वक उसे वाद-विवाद में जीत लूं तो एंथेस के लोगों को जीतना मेरे लिए बाएं हाथ का खेल हो जाता है"।
आजकल कई शहरों में हास्य क्लब खुल गए हैं जहां पर जाकर लोग सिंथेटिक हंँसी हँसते हैं और स्वस्थ रहते हैं जिनमें हास्य को थेरेपी मानकर उपयोग में लिया जाता है प्लास्टिक हंँसी स्माइली भी इसी का प्रयोग है।
एक व्यक्ति असाध्य रोगों से पीड़ित था उस व्यक्ति के जीवन के प्रति सभी हताश हो चुके थे वह व्यक्ति बाजार से हास्य रस के कुछ पुस्तकें खरीद कर लाया वह इन पुस्तकों को पढ़ता और पढ़कर निरंतर हँसने में अपना समय बिताने लगा कहते हैं वह व्यक्ति धीरे-धीरे स्वस्थ हो गया और उसके वजन में भी वृद्धि हुई। इसलिए हँसिए जनाब मुस्कुराइए। अभी हँसी पर जीएसटी टैक्स नहीं लगा है हंँस लीजिए
जिंदगी के बोझ को हँसकर उठाना चाहिए।
राह की दुश्वारियों पर, मुस्कुराना चाहिए।।