सोमवार, 29 मई 2023

भीषण पेयजल संकट दरवाजों पर पत्थर की दीवार खड़ी करके पलायन कर गए लोग

भीषण पेयजल संकट दरवाजों पर पत्थर की दीवार खड़ी करके पलायन कर गए लोग
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ग्रामीण  विकास के दावों को ठेंगा दिखा रहा अंधेरा-प्यासा गांव
मनोहर शर्मा /दमोह
 पलायन कर रहे मजदूरों को गांव में ही आय के साधन उपलब्ध कराने के लिए सरकारों ने अनेकों योजनाएं चलाई! जिसमें एक मनरेगा योजना तो मील का पत्थर साबित भी हुई लेकिन हैरान करने वाली तस्वीरें आज भी आ रही हैं. दमोह जिले का एक गांव पेयजल संकट के चलते सुनसान हो गया है. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 1 दशक पहले इस गांव की कुल आबादी 400 से 500 लोगों की थी. लेकिन अब यहां सिर्फ इक्का-दुक्का लोग ही रह गए हैं. अधिकांश लोग अपने घरों को पत्थरों की दीवार से बंद करके गांव को छोड़ गए हैं.
दमोह जिले की तेंदूखेड़ा तहसील के पाड़ाझिर गांव की तस्वीर पहाड़ी क्षेत्र में बसे गांव के विकास के दावों पर  बड़े  सवाल खड़े कर रहे है. इस गांव की गलियों से गुजरते हुए अजीब सन्नाटा महसूस होता है. गांव वालों ने नेताओं और अफसरों से मदद की बार बार गुहार लगाई, लेकिन  सिर्फ आश्वासन के उन्हें कुछ नहीं मिला. मजबूरन घरों के दरवाजों पर पत्थर की दीवार खड़ी करना पड़ी. पाडाझिर गांव का हाल यह है कि गिनती के जो बेचारे ग्रामीण अब गांव में बचे हैं, वो करीब 3 किलोमीटर दूर पुरानी बावड़ी से पीने का पानी लाने को मजबूर है
 वनांचल गांव  विकास दावों की पोल खोलती हकीकत
— लोगों और पालतू जानवरों की प्यास बुझाने के लिए बावड़ी पानी का एकमात्र स्रोत है.
जिसमे 1 फीट से भी कम मटमैला पानी बचा हुआ है जो पीने के योग्य नहीं है, लेकिन जीने के लिए जरूरी इसी पानी से लोग प्यास बुझा रहे है इस गांव में सालों पहले एक बोरवेल हुआ करता था लेकिन जल स्तर भूतल में होने से अब सूख चुका है.

— बिजली के खंभे तो यहां खड़े किए गए पर कई सालों से बिजली का तार ही नहीं डला.
अब भी शाम होते ही यहां लालटेन का सहारा है.
इस पूरे मामले पर तेन्दूखेड़ा एसडीएम अविनाश रावत ने कहा पाड़ाझिर पहाड़ी ग्राम है. पिछले साल भी यह समस्या आई थी. वैकल्पिक प्रयास किए थे. इस बार जल निगम का अभियान है कि गांव-गांव और गली-गली जल पहुंचाने का युद्धस्तर पर काम चल रहा है. उम्मीद है अप्रैल में पाड़ाझिर में पानी की उपलब्धता हो जाएगी. और कोई पीने के पानी के समस्या का समाधान हो जाएगा

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