सोमवार, 29 मई 2023

माता सती का हार गिरने से पड़ा मैहर नाम, नवरात्रि में पूजन अर्चन के लिए पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु

माता सती का हार गिरने से पड़ा मैहर नाम, नवरात्रि में पूजन अर्चन के लिए पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु
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माता सती का हार गिरने से पड़ा मैहर नाम, नवरात्रि में पूजन अर्चन के लिए पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु
आशीष भट्ट/ भोपाल। प्रदेश के सतना जिले के मैहर में मां शारदा के दर्शन के लिए चैत्र व शारदेय नवरात्र में लाखों श्रद्धालुओं का तांता मैहर में लगता है। रेल बस और सड़क मार्ग से हजारों श्रद्धालु मां शारदा के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। बाकी दिनों में भी हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ प्रतिदिन दर्शन को पहुंचती है। 
        चैत्र नवरात्र के पहले ही दिन मैहर में बड़ी संख्‍या में श्रद्धालुओं ने दर्शन किए। यह सिलसिला आज भी जारी है। ब्रह्ममुहूर्त में आज माता की महाआरती की गई और उन्हें भोग चढ़ाया गया। हिन्दू मान्यता के अनुसार भारत में अदि शक्ति मां जगदम्बा को शक्ति स्वरूपा माना जाता है और उनकी पूजा अर्चना के विशेष दिन नवरात्र को माना गया है, जहां मां के नौ रूप की पूजा अर्चना नौ दिनों तक की जाती है। पूरे विश्व में मां के 52 शक्तिपीठ हैं ,जहां नवरात्र में अनोखा दृश्य देखने को मिलता है। शिव पुराण में वर्णन है कि माता सती ने अपमान की आग में जब खुद को यक्ष के हवन कुंड में झोंक दिया था तो इससे विचलित होकर भगवन शिव माता सती के पार्थिव शरीर को लेकर पूरे ब्रम्हांड में घूमने लगे और उनके शरीर को त्याग ही नहीं रहे थे। तब भगवान विष्णु को अपने चक्र सुदर्शन से माता सती के पार्थिव शरीर के कई टुकड़े करने पड़े। माता के इस छिन्न शरीर का जो अंग जहां-जहां गिरा आज वहां शक्तिपीठ स्थापित हो गए हैं। शिव पुराण के अनुसार मां का कंठ और उनका हार जहां गिरा था, उस स्थान का नाम माई का हार हो गया, जो कि कालांतर में मैहर नाम से प्रचलित हो गया।
 *देवी सरस्वती स्वरूपा हैं मां शारदा -* 
माई शारदा जो कि विद्या और बुद्धि की देवी सरस्वती स्वरूपा मानी जाती है, उनकी पूजा अर्चना का विशेष महत्त्व है। आज मैहर पूरे भारत वर्ष में आस्था का केंद्र है। जहां वर्ष की दोनों नवरात्री में लाखों श्रद्धालुओ का तांता लगता है। त्रिकूट पर्वत पर विराजी मां शारदा सर्व मनोकामनाओं को पूरा करने वाली हैं।
 *ऐसे हुई स्थापना* 
522 ईसा पूर्व को चतुर्दशी के दिन नृपल देव ने सामवेदी की स्थापना की थी। तभी से त्रिकूट पर्वत में पूजा अर्चना का दौर शुरू हुआ। इस मंदिर की पवित्रता का अंदाजा महज इस बात से लगाया जा सकता है कि मां से अमरत्व का वरदान प्राप्त आल्हा उदल आज भी मां की प्रथम पूजा करते हैं। जिसके हमेशा प्रमाण मिलते आए हैं। जब भी पट खुलते हैं, मां की पूजा श्रृंगार हुए मिलते हैं, कहा जाता है कि इस बीच यहां मंदिर में कोई ठहर नहीं सकता।
 *600 फीट की ऊंचाई पर विराजी हैं माता -* -
सतना जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर मैहर तहसील में मां शारदे त्रिकूट पर्वत पर 600 फीट की ऊंचाई पर विराजमान हैं। यहां श्रद्धालु देश भर से माई के दर्शन को पहुंचते हैं। पहाड़ी में पहुंच मार्ग जहां कभी पगडंडी हुआ करती थी वहीँ आज 1064 सुगम सीढ़ियां है। इसके अलावा वेन सुविधा के अलावा सरल सुगम रोपवे संसाधन है, जिससे लाखो की संख्या में श्रद्धालु दर्शन को पहुंच रहे है।

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