रिक्कुडी के लोग पानी के लिए प्राकृतिक जल स्रोत पर पूरी तरह निर्भर
जबेरा। भले प्रधानमंत्री पेयजल योजना हर घर पानी पानी पहुंचाने का दावा कर रही है लेकिन आज भी कुछ गांव ऐसे हैं जो पूरी तरह से बरसों से प्राकृतिक जल स्रोतों पर निर्भर हैं गर्मी की शुरुआत के साथ ही जनपद तेंदूखेड़ा की ग्राम पंचायत महगुंवा कला के गांव रिचकुडी में जल संकट के बीच लोग पानी के लिए प्राकृतिक स्रोत पर पूरी तरह से निर्भर हैं यहां पर पेयजल के लिए कोई योजना अभी तक धरातल पर नहीं दिखाई दे रही है और यहां के लोगों के लिए पानी नहीं मिल रहा है पेयजल संकट के इन हालातों में प्राकृतिक जल स्रोत झिरिया यहां के लोगों के लिए पानी के लिए वरदान साबित हो रहे हैं और आम आदमी से लेकर मवेशियों तक की प्यास बुझाने के लिए प्राकृतिक जल स्रोत का सहारा बरसों से बना हुआ है झिरिया से आगे झिरिया से रिसता पानी जलभराव की स्तिथि में एक तालाब बन जाता जिसमे लोग नहाने धोने के साथ साथ मवेशियों की प्यास बुझाने के काम आता है पानी स्थानीय लोगों का कहना है सिद्धों की झिरिया का पानी लोगों के गले को तर करने के साथ साथ मवेशियों की प्यास बुझाने सहित जल की दैनिक जरूरतों को पूरा करती है गांव में पेयजल के लिए कोई अन्य योजना यहां चालू नहीं हुई लेकिन प्रकृति प्रदत्त झिरिया वर्षो से लोगो की प्यास बुझाने के लिए प्रकृति प्रदत्त वरदान मानते है और सिद्धों की चमत्कारिक झिरिया की लोग पूजा करते झिरिया इतिहास बहुत पुराना है लोग बताते हैं पुरातन समय में यहां रीछ पानी पीने आते थे इसलिए रिछो की झिरिया के नाम से जाना जाता है।