मध्यप्रदेश के कर्मचारी फिर से सड़क उतरे
ओपीएस को लेकर कर्मचारी संगठन सक्रिय
भोपाल। मध्यप्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले मध्यप्रदेश के कर्मचारी एकजुट होने लगे हैं। कई वर्षों से पुरानी पेंशन बहाली का मांग कर रहे कर्मचारियों ने बड़े आंदोलन की रणनीति बनाना शुरू कर दी है। मध्यप्रदेश के कई संगठन इस बार पुरानी पेंशन लागू करवाने के लिए बड़ा आंदोलन करने की तैयारी में है। इसी सिलसिले में भोपाल के संगठनों ने भी तैयारी कर ली है। भोपाल में तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश सचिव उमाशंकर तिवारी कहते हैं कि एक जनवरी 2005 के बाद जो भी सरकारी भर्ती हुई है। उसमें पुरानी पेंशन लागू नहीं है। जो बहुत ही गलत निर्णय है। कर्मचारी के लिए इससे ज्यादा दुखदायी समस्या कोई नहीं हो सकती। शिवराज सरकार को कर्मचारियों की पुरानी पेंशन प्रणाली को तत्काल लागू करना चाहिए। क्योंकि सेवानिवृत्ति के बाद कई कर्मचारी बीमारियों की गिरफ्त में भी आ जाते हैं। उन्हें परिवार का साथ नहीं मिल पाता है, ऐसे में वे अपना ध्यान रख सकें। ऐसे में पुरानी पेंशन स्कीम ही सभी सरकारी कर्मचारियों को राहत देगी। नई पेंशन स्कीम में कर्मचारी या उनके परिवार का जीवन यापन करना मुश्किल हो जाएगा। मध्यप्रदेश में इस योजना को लागू कराने के लिए प्रदेश के साढ़े सात लाख से अधिक कर्मचारी अपनी बात मनवाकर रहेंगे।
पुरानी पेंशन के मुद्दे पर मध्यप्रदेश के कर्मचारी फिर से सड़क उतर गए हैं। राजधानी भोपाल में सोमवार को कर्मचारियों ने हाथों में तख्तियां और सिर पर एनपीएस की टोपी पहनकर नारेबाजी की। उन्होंने कहा कि सरकार ने पुरानी पेंशन बहाल नहीं की तो आगे उग्र आंदोलन करेंगे। एनपीएस की टोपी और हाथों में तख्तियां लिए मंत्रालयीन कर्मचारियों ने वल्लभ भवन के गेट नंबर-6 से 'पुरानी पेंशन बहाल करो...' के नारे लगाते हुए रैली निकाली। इसके बाद ज्ञापन सौंपा। कर्मचारियों का कहना था कि वर्ष 2005 में पुरानी पेंशन योजना को बंद किया गया था। उसके बाद से जो कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उन्हें महज 800-1500 रुपए तक की पेंशन मिल रही है, जो जीवन-यापन करने के लिए पर्याप्त नहीं है। कर्मचारी नेता सुधीर नायक ने कहा कि सरकार कर्मचारियों के साथ धोखा कर रही है। पहले तो जीवनभर उनसे सेवा ली गई। इसके बाद जब वे सेवानिवृत्ति हुए और बुढ़ापे का समय आया तो उन्हें ऐसे ही छोड़ दिया गया। उन्होंने सीएम शिवराज सिंह चौहान से मांग की कि अन्य राज्यों की तर्ज पर मध्यप्रदेश में भी पुरानी पेंशन स्कीम को बहाल किया जाए। जिससे बुढ़ापे की लाठी पेंशनरों को मिल सके।